Monday, March 2, 2009

"सुनीता" और "कल्पना" की उड़ान भरी है तुम्हें ....



“सुनीता” और “कल्पना” की उड़ान भरनी है तुम्हें ,

“अभिनव” जैसा लक्ष्य पाना है तुम्हें ,

पथरीले रास्तों पर चल कर ही ,

एक दिन , मिलेगी मंजिल तुम्हें ।

“ध्रुव” बन कर गगन में चमकना है तुम्हें ,

“श्रवण” बन कर दिलों में बसना है तुम्हें ।

स्कूल की परीक्षाओं से न घबराना कभी तुम ,

इनसे भी बड़ी परीक्षाओं से अभी गुजरना है तुम्हें।

उदासी के अंधेरों , में नही खोना है तुम्हें

अंधेरों में भी , मुस्कराते हुए चलना है तुम्हें ।

देख लेना फिर जिंदगी में हमेशा ,

सफलता के उजाले ही उजाले मिलेंगें तुम्हें ।

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