“सुनीता” और “कल्पना” की उड़ान भरनी है तुम्हें ,
“अभिनव” जैसा लक्ष्य पाना है तुम्हें ,
पथरीले रास्तों पर चल कर ही ,
एक दिन , मिलेगी मंजिल तुम्हें ।
“ध्रुव” बन कर गगन में चमकना है तुम्हें ,
“श्रवण” बन कर दिलों में बसना है तुम्हें ।
स्कूल की परीक्षाओं से न घबराना कभी तुम ,
इनसे भी बड़ी परीक्षाओं से अभी गुजरना है तुम्हें।
उदासी के अंधेरों , में नही खोना है तुम्हें
अंधेरों में भी , मुस्कराते हुए चलना है तुम्हें ।
देख लेना फिर जिंदगी में हमेशा ,
सफलता के उजाले ही उजाले मिलेंगें तुम्हें ।
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