Friday, March 6, 2009

कोई तुमको कुछ कहता है ......



कोई तुमको कुछ कहता है, दर्द मुझे क्यों होता है ?
अपनेपन का अहसास हो जहाँ , शायद ऐसा तब होता है।
इस अजनबी दुनिया में, हर कोई नहीं अपना होता है।
सुख-दुःख मिलकर बाँटे जिनसे, वो ही बस अपना होता है।
कोई तुमको कुछ .......... .........
खून के रिश्तों से गहरे हैं मन के बंधन , बंधा है इन बंधनों में जो
वो इंसान बड़ा खुशनसीब होता है।
ऐसा क्यों मेरे साथ हर बार होता है ?
समझता है जिसे दिल अपना , वही क्यों नजरों से दूर होता है।
कोई तुमको कुछ .............
जरा सी बात पर छलक जाते हैं आंसू ,
दर्द मुझसे अब किसी का सहन नहीं होता है।
चोट लगे तुमको, रो देती हैं आँखें मेरी .......
यह अहसास भी हर किसी को नहीं नसीब होता है।
कोई तुमको कुछ कहता है, दर्द मुझे क्यों होता है ?

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