ऐसा हुआ हमारे साथ इस बार, चार रातें चार शहरों में गुजरीं पहली बार।
"मुंबई", "सूरत", "अहमदाबाद" और 'माउंट आबू" जाना हुआ हमारा इस बार।
यात्राओं तो चलती रहेंगीं लगातार, संग हमारे मित्र "शंकर नारायण" थे इस बार।
मुंबई में एक रात गुजारी, सुबह एक कार्यशाला में भाग लिया
विषय था "जीव-जंतुओं" पर कैसे रुके अत्याचार।
मांसाहार का त्याग करें, जीवन में अपनाएँ शाकाहार।
सूरत में दूसरी रात गुजारी, सुबह अहमदाबाद की थी तैयारी ।
गाँधी जी के आश्रम में जाना हुआ हमारा पहली बार।
आश्रम की धरती को नमन किया, मन भाव-विभोर हुआ बार- बार।
महात्मा को करीब से जानने का प्रयास किया हमने पहली बार।
अहमदाबाद में तीसरी रात गुजारी, "नंदन जी" का आतिथ्य किया स्वीकार।
ह्रदय से व्यक्त करतें है हम उनके प्रति अपना आभार।
सुबह ही कर ली हमने , फिर माउंट आबू जाने की तैयारी ।
धीरे-धीरे चलती हुई पहाडों पर पहुँच ही गयी बस हमारी।
अत्यंत सुन्दर थी "दिलवाडा मंदिर" की कलाकारी ।
कई मंदिरों में दर्शन किये, नक्की झील की खूबसूरती थी प्यारी।
"ॐ शान्ति भवन" में जाकर फिर आत्मा से वार्तालाप हुआ।
सांझ ढले सूरज अपने घर जाने को था, चंदा के आने की थी अब बारी।
माउंट आबू में चौथी रात गुजारी, सुबह घर लौटने की थी बारी।
यात्राओं में नया अध्याय जुडा है, सबको सुनायेंगे हम बारी-बारी ।
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