Sunday, March 15, 2009

मुझे याद है तुम्हारा पहला ख़त ......


मुझे याद है तुम्हारा पहला ख़त, जो तुमने मुझको लिखा था ।
मुझे याद है तुम्हारा दूसरा ख़त, जो तुमने मुझको लिखा था।
इस तरह पाँच ख़त तुमने मुझको लिखे थे ।
सारे खतों में एक प्यारा सा अहसास था ,
सारे ख़त थे कोरे कागज , लिफाफे पर बस मेरा नाम था ।
फिर छठे ख़त में तीन शब्द लिख पाये तुम ।
"क्या चाकलेट खाओगे" मेरे साथ तुम ।
वो पहली चाकलेट जो हमने आधी-आधी खायी थी ।
वो चाकलेट पचास पैसे की आयी थी ।
अपनी गुल्लक से जो तुम लाई थी ।
उस चाकलेट का रैपर मैंने रख लिया था ।
कई ख़त मैंने भी तुमको लिखे, पर सारे ख़त मेरे पास ही रहे ।
और वो आखरी ख़त , जो तुमने मुझको लिखा था ।
इस बार कोरा कागज नहीं था वह ,
जीवन का उसमें था सार लिखा, प्रेम का सारा हाल लिखा।
ना मिल पायेगें हम, यह बार-बार लिखा ।

1 comment:

  1. अच्छी कवितायें हैं।

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